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तीन दिवसीय ‘स्वस्थ मन एवं स्वस्थ तन’ कार्यक्रम में लोगों ने किया अभ्यास ‘स्वस्थ सोच से बनेगा सुंदर समाज’

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“स्वस्थ सोच से ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना संभव है।” यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय “स्वस्थ मन एवं स्वस्थ तन” कार्यक्रम में व्यक्त किए।
दीदी ने कहा कि जीवन एक अमूल्य उपहार है, जिसे सुख, शांति और आनंद से जीना भी एक कला है। आज के समय में व्यक्ति जितना भौतिक रूप से विकसित हुआ है, उतना ही मानसिक रूप से अशांत, चिंतित और भयभीत हो गया है। इसका कारण यह है कि बाह्य विकास पर तो ध्यान दिया गया, लेकिन मन के विकास की उपेक्षा हुई। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने विचारों को शुद्ध, सकारात्मक और निर्मल बना लें, तो जीवन में खुशियां स्वयं प्रवेश करेंगी।

राजयोग मेडिटेशन इसके लिए एक सशक्त माध्यम है, जो मन, बुद्धि और संस्कारों की एकाग्रता को बढ़ाता है तथा मनोविकारों पर विजय दिलाता है। कार्यक्रम में योग प्रशिक्षिका ट्विंकल गंभीर ने विभिन्न योगासनों का अभ्यास कराते हुए उनके शारीरिक और मानसिक लाभों पर प्रकाश डाला। बीके स्वाति दीदी ने कहा कि एक स्वच्छ, मूल्य-आधारित और स्वस्थ समाज का निर्माण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। और यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपने विचारों को स्वच्छ और सकारात्मक बनाए। यही सुंदर, सुखद और आदर्श समाज की नींव है।

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नशा मुक्ति रथ रवाना, चित्र प्रदर्शनी, प्रोजेक्टर शो और राजयोग से लोगों को करेंगे जागरूक कलेक्टर और एसएसपी ने हरी झंडी दिखा कहा- नशे को ना कहें

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नशा मुक्ति के लिए एक अनूठी पहल के तहत ब्रह्माकुमारीज बिलासपुर द्वारा ‘नशा मुक्ति रथा’ अभियान की शुरुआत की गई। इस रथ को जिला कलेक्टर संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा एवं अन्य अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। राजयोग भवन, टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित मुख्य सेवाकेंद्र से प्रारंभहुए इस रथ के माध्यम से जिलेभर में नशे से मुक्ति के लिए जागरूकता फैलाई जाएगी। इसमें चित्र प्रदर्शनी, प्रोजेक्टर शो और राजयोग से जुड़ी जानकारी के माध्यम से लोगों को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए उन्हें सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि नशा व्यक्ति ही नहीं, परिवार, समाज और देश को भी नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के प्रयासों की सराहना की। वहीं, पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह ने युवाओं से अपील की “नशे को ना कहें, जिंदगी को हां कहें। नशा केवल जीवन को नाश करता है। सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति ने बताया कि यह अभियान तीन चरणों में चलेगा जागरूकता, सशक्तिकरण और प्रेरणा। नशे की गिरफ्त में आए लोगों को राजयोग व सात्विक संगति द्वारा मनोबल प्रदान कर जीवन में बदलाव की दिशा दी जाएगी। यह अभियान “नशा मुक्त भारत” के मिशन स्पंदन के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।

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ब्र‌ह्माकुमारीज ने दिया नशा मुक्त समाज का संदेश

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ब्रह्माकुमारीज द्वारा सिखाई गई राजयोगी जीवन शैली के द्वारा मानव हर प्रकार की बुराइयों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। राजयोग के अभ्यास से व्यक्ति में आत्म सम्मान की वृद्धि होती है तथा वह स्वयं में सशक्त अनुभव करता है। राजयोग ध्यान हमारे विचारों को सकारात्मक दिशा में प्रवाहित करने की एक व्यवस्थित तकनीक है। गहरी शान्ति, आंतरिक खुशी का अनुभव, पांच इंद्रियों पर संपूर्ण अधिकार, नशीली दवाओं के प्रति नेचुरल घृणा पैदा करता हैं और नशा मुक्त समाज बनाने में मदद करता हैं।

उक्त वक्तव्य अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के उपलक्ष्य में टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित ब्रह्माकुमारीज बिलासपुर का मुख्य सेवाकेन्द्र राजयोग भवन संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कही। दीदी ने आगे कहा कि भारत में हर आठ सेकंड में नशे के चलते एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। एक दिन में 3750 और प्रतिवर्ष 13 लाख लोगों की मृत्यु केवल तंबाकू के सेवन से होती है। सभी तरह के नशे को आंकड़े पर नजर डालें तो एक साल में भारतवर्ष में 35 लाख लोगों की मौत हो जाती है। तंबाकू में ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को जन्म देते हैं। इसमें पाया जाने वाला निकोटीन धीमा जहर है। नशे से हमारा डीएनए तक प्रभावित होता है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य में शनिचरी रपटा में आयोजित कार्यक्रम में बीके संतोषी दीदी ने बताया कि व्यसन से आने वाली पीढ़ी में कैंसर होने के खतरे बढ़ जाते हैं। हमारे हार्ट की खून ले जाने वाली धमनियां में एंडोथीलियम होती है और सिगरेट पीने से उसमें कोलेस्ट्रोल चिपकना शुरू हो जाता है जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। प्रतिवर्ष हमारे देश में 44 लाख लोगों की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण होती है। आज हमारे देश में 13 फीसदी लोग शराब का इस्तेमाल करते हैं। बहुत ही चिंता एवं डराने वाली बात यह है कि 5500 बच्चे हर रोज नशे करने वालों की भीड़ में शामिल हो जाते हैं। यही बच्चे देश का भविष्य और भावी कर्णधार हैं। युवा धन नशे से मुक्त रहकर सशक्त बने यह हमारा दायित्व है।

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“राजयोग भवन में आयोजित छह दिवसीय बाल संस्कार शिविर”

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उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित छः दिवसीय बाल संस्कार शिविर में सेवा केंद्र की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने बच्चों को प्रकृति का महत्व बताते हुए कही। दीदी ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। जब तक हम सीखते रहेंगे तब तक हमारी उन्नति होती रहेगी। हमें अपने आसपास की हर एक वस्तु से कुछ ना कुछ ज्ञान उठाना है। प्रकृति हमें निरंतर कुछ ना कुछ पाठ पढ़ाती है। जीवन जीने की कला सिखाती है। पेड़ हमें सिखाते हैं कि पहले अपने को तैयार करें। यह अपने को तैयार होने का, अपनी नीव को मजबूत करने का समय है। सदा अपनों के साथ बनकर रहे। कभी भी किसी भी बात में कमजोर नहीं होना। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता और असफलता तो आती और जाती रहती है परंतु अपना आत्मविश्वास कभी भी ना खोएं। चुनौतियां समस्याएं तो हमेशा आती रहेगी पर चुनौतियां हमें और भी मजबूत बनाती है। जिस प्रकार से आंधी-तूफान पेड़ों की जड़ों को और अंदर गहराई तक मजबूत बनाता है। उसी प्रकार से जीवन में आने वाली समस्याएं हमें और भी मजबूत बनाती है।

18 वर्ष की आयु से 14 वर्ष की आयु बच्चों का टर्निंग पॉइंट होता है। जिसमें मुख्य रूप से संस्कार का निर्माण होता है। इस अवस्था में पड़ी आदतें ही आगे चलकर संस्कार का रूप ले लेती है। कहते हैं बच्चो के संस्कार उसकी स्वयं का जीवन ही नहीं बल्कि पूरे समाज की दिशा दशा तय करता है। बच्चों में ज्यादातर संस्कार उनके माता-पिता से आते हैं संस्कार विकसित करने में माता पिता की बहुत बड़ी भूमिका होती है। बचपन में दिए गए संस्कार आजीवन साथ देते हैं। इसलिए बच्चों बको अच्छे संस्कार देना आवश्यक है। उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र में छ-दिवसीय बच्चों के बाल संस्कार शिविर के समापन में सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा। दीदी ने शिविर के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि आज की जो परिस्थिति हैं उसमें सबसे बड़ी चुनौती आती है बच्चों को संभालना एवम संस्कारवान बनाने की। क्योंकि आज सभी अभिभावको की यही शिकायत होती है कि आजकल कि बच्चे कहना नहीं मानते हैं, आखिर इसका कारण क्या है। यह छोटे बच्चे, छोटे पौधे की तरह है अभी हम इन्हें जो संस्कार दे रहे है, परवरिश कर रहे हैं, यही इनका भविष्य हैं हमारा भविष्य है।

बच्चे जब छोटे होते हैं तो हम समझते हैं अभी इनकी यह छोटी उम्र के हैं, अभी इनको आध्यात्मिकता की जरूरत नहीं, भगवान का नाम लेने की जरूरत नहीं, मंदिर जाने की जरुरत नहीं। जब उनको सीखने की जरुरत है तब उनको जरुरी नहीं समझा जाता करके सीखने से टाल दिया जाता है। और जब समय बीत जाता है तब तक बहुत देरी हो चुकी होती है। माता-पिता बच्चों के लिए ब्रह्मा होते हैं। बच्चों के पालन के लिए स्थापना के लिए भगवान ने आपको दिया है। तो इनकी सही परवरिश करना, सही संस्कार देने का सही समय यही है। चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक हो उनमें इस उम्र में ही परिवर्तन होना शुरु हो जाता है। तो जो हम सिखाते हैं उनका जीवन बन जाता है। बाहर की एक्टिविटी तो हर कोई करते हैं। लेकिन अंदर के वैल्यूज जिससे हमारा जीवन मूल्यवान हो जाता है। वो हम यहां ही सीख सकते हैं। तो यह अंत नहीं लेकिन शुभारंभ है। कई बच्चों के लिए बहुत कंप्लेन करते हैं कहना नहीं मानते हैं, हाइपर एक्टिव है। उसके लिए पहले हमें सीखना होगा।

विचारों का शुद्ध होना बहुत जरुरी है पर हाइपर एक्टिव होना सही नहीं है। इसका कारण विचारों की गति तेज होना है। जिस वजह से बच्चे सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। किसी चीज को परख नहीं सकते हैं। बच्चे कितने सेंसेटीव हो गए हैं। बड़ों को इसे समझना होगा। इन बच्चों को संभालना होगा। यह केवल हमारे नही बल्कि पूरे देश का भविष्य है। है। बच्चों एवं अभिभावको की शिविर के प्रति रुचि को देखते हुए कल सोमवार से शनिवार सुबह 8 से 9 बजे तक बच्चों एवं अभिभावकों के लिए सात दिवसीय निःशुल्क पर्सनालिटी डेवलपमेंट कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। जिसे कोई भी बच्चे जॉइन कर सकते है। शिविर में मोटू-पतलू और शेर बच्चों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहे छः दिवसीय शिविर में बच्चों को माता पिता का सम्मान करना, देश भक्ति, मोरल वैल्यूज की कहानियां, एकाग्रता को कैसे बढ़ाएं, मोबाइल के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता, पर्यावरण के प्रति जागरूकता पेड लगाओ, पानी को चार्ज करके पीएं, वंदे मातरम, हनुमान चालीसा एवं हमारी भारतीय दैवी संस्कृति से परिचय कराया।
बच्चों ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर मातृ दिवस के दिन अपनी मां को समर्पित किया। गीत व डांस, तबला, कविता के साथ-साथ जुम्बा, ड्रांइग, आदि प्रस्तुतिया रही। शिविर के समापन में सभी बच्चों ने इन छन् दिनों में जो सीखा अपना अपना अनुभव सुनाया। अभिभावकों ने भी बच्चों में शिविर से जो परिवर्तन हुआ अपने अनुभव सुनाए। सभी बच्चो का उमंग उत्साह बढ़ाने के लिए गिफ्ट्स दिए गए एवं कार्यक्रम के समापन में प्रसाद सभी ने स्वीकार किया। 100 से भी अधिक बच्चों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम को सफल बनाने में अंजू दुआ, पुष्पा अग्रवाल, एस. मणि, रंजन नीलानी ट्विंकल गम्भीर, नवीन भाई, परमानंद भाई, राघवेंद्र भाई, कन्हैया पासवान आदि का विशेष सहयोग रहा।

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