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राजयोग भवन में पांच दिवसीय बाल संस्कार शिविर का आयोजन

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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में पांच दिवसीय बाल संस्कार शिविर का शुभारंभ हुआ। पहले दिन बच्चों को गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा पाठ, शिष्टाचार की सीख दी गई। जुबा डांस कराया गया। शिविर का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्ज्वलन कर के किया गया। बच्चों के अलग-अलग ग्रुप बांटे गए और उन्हें गुणों का नाम देते हुए उन्हें उसके विषय में प्रेरित किया गया कि हमें यह गुण धारण करने हैं। उससे पहले बहन अंजु दुआ ने प्रातः स्मरण एवं गायत्री मंत्र बच्चों को सिखाया। हेमंत अग्रवाल भाई ने बच्चों को हनुमान चालीसा सिखाएं। ब्रह्माकुमारी गायत्री दीदी ने बच्चों को मेहमान आने पर शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया। डॉ. प्रगति दुआ ने बच्चों को जुम्बा डांस में खूब नचाया। मोटू और पतलू की जोड़ी ने खूब भी बच्चों को बहुत मनोरंजन कराया।

जीवन में स्वच्छता के गुण जरूरीः स्वाति

शिविर में राजयोग केंद्र संचालिका स्वाति दीदी ने कहा कि स्वच्छता का गुण हमारे जीवन में अति आवश्यक है। जैसे कोई धन की चाहना रखते हैं तो सोचते हैं धन की देवी लक्ष्मी हमारे घर आए इसलिए खूब साफ सफाई करते हैं। अब विद्या की देवी है सरस्वती अगर हम चाहते हैं कि वह हमारे पास रहे तो हमें स्वच्छता रखनी पड़ेगी। स्वच्छता दो प्रकार की होती है बाह्य स्वच्छता और आन्तरिक स्वच्छता। हमें स्वयं के आसपास की, अपने घर की, स्कूल की, सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता बनाए रखना है। आंतरिक स्वच्छता जितना जितना हमारे अंदर दिव्य गुण होंगे उतनी उतनी हमारे अंदर आंतरिक स्वच्छता आती जाती है।

एकाग्रता परखने कराए गेम

ब्रह्मा कुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू से आए बीके भानु भाई ने बताया की अच्छे विद्यार्थी के अंदर ईमानदारी, सत्यता, पंक्चुअलिटी आदि गुण होते हैं जो हमें धारण करना है। विद्यार्थियों में सबसे अधिक एकाग्रता की शक्ति का होना आवश्यक है। भानु भाई ने बच्चों में एकाग्रता की परख के लिए अनेक गेम खिलाए साथ। ही बच्चो को गीत गवाया जिसमे बच्चों ने बहुत एंजॉय किया।

बच्चों ने बताए मोबाइल के दुष्प्रभाव, कहा- दूर रहना सही

पांच दिवसीय शिविर में बच्चों ने जो सीखा, उसकी प्रस्तुति दी। इस दौरान बच्चों ने माता-पिता का सम्मान करना बताया। साथ ही मोबाइल के दुष्प्रभाव के बारे में बताया। इसके अलावा शिविर में बच्चों ने सेल्फ डिफेंस, दांतों की सही देखभाल करना, पर्यावरण संरक्षण, पानी बचाने और प्लास्टिक का उपयोग बंद करने के बारे में बताया गया। बच्चों ने गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा पाठ किया। इसके अलावा गीत-संगीत और नृत्य की प्रस्तुति दी।

8 वर्ष से 14 वर्ष की आयु बच्चों का टर्निंग पॉइंट होता है, जिसमें मुख्य रूप से संस्कार का निर्माण होता है। इस अवस्था में पड़ी आदतें ही आगे चलकर संस्कार का रूप ले लेती हैं। कहते हैं कि बच्चों के संस्कार उनकी स्वयं का जीवन ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की दिशा-दशा तय करता है। बच्चों में ज्यादातर संस्कार उनके माता-पिता से आती है। संस्कार विकसित करने में माता-पिता को बहुत बड़ी भूमिका होती है। बचपन में दिए गए संस्कार आजीवन साथ देती हैं। इसलिए बच्चों को अच्छे संस्कार देना आवश्यक है। यह बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र में पांच दिवसीय बच्चों के बाल संस्कार शिविर के समापन में सेवा केंद्र संचालित बीके स्वाति दीदी ने कही। बीके स्वाति ने कहा कि कहा कि आज की जो परिस्थिति है, उसमें सबसे बड़ी चुनौती आती है बच्चों को संभालना और संस्कारवान बनाना। क्योंकि आज सभी अभिभावकों की यही शिकायत होती है कि आजकल कि बच्चे कहना नहीं मानते हैं। आखिर इसका कारण क्या है, यह छोटे बच्चे, छोटे पौधे की तरह हैं, अभी हम इन्हें जो संस्कार दे रहे हैं, परवरिश कर रहे हैं, यही इनका भविष्य हैं हमारा भविष्य है। माता-पिता बच्चों के लिए ब्रह्मा होते हैं। बच्चों को पालन के लिए स्थापना के लिए भगवान ने आपको दिया है, तो इनकी सही परवरिश करना, सही संस्कार देने का सही समय यही है। बाहर की एक्टिविटी तो हर कोई करते हैं। लेकिन अंदर के वैल्यूज जिससे हमारा जीवन मूल्यवान हो जाता है, वो हम यहां ही सीख सकते हैं। बीके स्वाति ने सभी अभिभावकों से कहा कि सप्ताह में एक दिन रविवार को बच्चों को सेवा केंद्र भेजें और साथ में वे भी आएं।

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नशा मुक्ति रथ रवाना, चित्र प्रदर्शनी, प्रोजेक्टर शो और राजयोग से लोगों को करेंगे जागरूक कलेक्टर और एसएसपी ने हरी झंडी दिखा कहा- नशे को ना कहें

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नशा मुक्ति के लिए एक अनूठी पहल के तहत ब्रह्माकुमारीज बिलासपुर द्वारा ‘नशा मुक्ति रथा’ अभियान की शुरुआत की गई। इस रथ को जिला कलेक्टर संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा एवं अन्य अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। राजयोग भवन, टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित मुख्य सेवाकेंद्र से प्रारंभहुए इस रथ के माध्यम से जिलेभर में नशे से मुक्ति के लिए जागरूकता फैलाई जाएगी। इसमें चित्र प्रदर्शनी, प्रोजेक्टर शो और राजयोग से जुड़ी जानकारी के माध्यम से लोगों को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए उन्हें सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि नशा व्यक्ति ही नहीं, परिवार, समाज और देश को भी नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के प्रयासों की सराहना की। वहीं, पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह ने युवाओं से अपील की “नशे को ना कहें, जिंदगी को हां कहें। नशा केवल जीवन को नाश करता है। सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति ने बताया कि यह अभियान तीन चरणों में चलेगा जागरूकता, सशक्तिकरण और प्रेरणा। नशे की गिरफ्त में आए लोगों को राजयोग व सात्विक संगति द्वारा मनोबल प्रदान कर जीवन में बदलाव की दिशा दी जाएगी। यह अभियान “नशा मुक्त भारत” के मिशन स्पंदन के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।

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तीन दिवसीय ‘स्वस्थ मन एवं स्वस्थ तन’ कार्यक्रम में लोगों ने किया अभ्यास ‘स्वस्थ सोच से बनेगा सुंदर समाज’

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“स्वस्थ सोच से ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना संभव है।” यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय “स्वस्थ मन एवं स्वस्थ तन” कार्यक्रम में व्यक्त किए।
दीदी ने कहा कि जीवन एक अमूल्य उपहार है, जिसे सुख, शांति और आनंद से जीना भी एक कला है। आज के समय में व्यक्ति जितना भौतिक रूप से विकसित हुआ है, उतना ही मानसिक रूप से अशांत, चिंतित और भयभीत हो गया है। इसका कारण यह है कि बाह्य विकास पर तो ध्यान दिया गया, लेकिन मन के विकास की उपेक्षा हुई। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने विचारों को शुद्ध, सकारात्मक और निर्मल बना लें, तो जीवन में खुशियां स्वयं प्रवेश करेंगी।

राजयोग मेडिटेशन इसके लिए एक सशक्त माध्यम है, जो मन, बुद्धि और संस्कारों की एकाग्रता को बढ़ाता है तथा मनोविकारों पर विजय दिलाता है। कार्यक्रम में योग प्रशिक्षिका ट्विंकल गंभीर ने विभिन्न योगासनों का अभ्यास कराते हुए उनके शारीरिक और मानसिक लाभों पर प्रकाश डाला। बीके स्वाति दीदी ने कहा कि एक स्वच्छ, मूल्य-आधारित और स्वस्थ समाज का निर्माण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। और यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपने विचारों को स्वच्छ और सकारात्मक बनाए। यही सुंदर, सुखद और आदर्श समाज की नींव है।

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ब्र‌ह्माकुमारीज ने दिया नशा मुक्त समाज का संदेश

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ब्रह्माकुमारीज द्वारा सिखाई गई राजयोगी जीवन शैली के द्वारा मानव हर प्रकार की बुराइयों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। राजयोग के अभ्यास से व्यक्ति में आत्म सम्मान की वृद्धि होती है तथा वह स्वयं में सशक्त अनुभव करता है। राजयोग ध्यान हमारे विचारों को सकारात्मक दिशा में प्रवाहित करने की एक व्यवस्थित तकनीक है। गहरी शान्ति, आंतरिक खुशी का अनुभव, पांच इंद्रियों पर संपूर्ण अधिकार, नशीली दवाओं के प्रति नेचुरल घृणा पैदा करता हैं और नशा मुक्त समाज बनाने में मदद करता हैं।

उक्त वक्तव्य अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के उपलक्ष्य में टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित ब्रह्माकुमारीज बिलासपुर का मुख्य सेवाकेन्द्र राजयोग भवन संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कही। दीदी ने आगे कहा कि भारत में हर आठ सेकंड में नशे के चलते एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। एक दिन में 3750 और प्रतिवर्ष 13 लाख लोगों की मृत्यु केवल तंबाकू के सेवन से होती है। सभी तरह के नशे को आंकड़े पर नजर डालें तो एक साल में भारतवर्ष में 35 लाख लोगों की मौत हो जाती है। तंबाकू में ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को जन्म देते हैं। इसमें पाया जाने वाला निकोटीन धीमा जहर है। नशे से हमारा डीएनए तक प्रभावित होता है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य में शनिचरी रपटा में आयोजित कार्यक्रम में बीके संतोषी दीदी ने बताया कि व्यसन से आने वाली पीढ़ी में कैंसर होने के खतरे बढ़ जाते हैं। हमारे हार्ट की खून ले जाने वाली धमनियां में एंडोथीलियम होती है और सिगरेट पीने से उसमें कोलेस्ट्रोल चिपकना शुरू हो जाता है जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। प्रतिवर्ष हमारे देश में 44 लाख लोगों की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण होती है। आज हमारे देश में 13 फीसदी लोग शराब का इस्तेमाल करते हैं। बहुत ही चिंता एवं डराने वाली बात यह है कि 5500 बच्चे हर रोज नशे करने वालों की भीड़ में शामिल हो जाते हैं। यही बच्चे देश का भविष्य और भावी कर्णधार हैं। युवा धन नशे से मुक्त रहकर सशक्त बने यह हमारा दायित्व है।

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